गांव का किसान का शी के एक गांव में शा मू नाम का एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था सामू गांव में ही रहकर साग
सब्जी व धान गेहूं की खेती करके अपने परिवार की आजीविका को चला रहा था उसके दोबेटे वह एक बेटी थी I उसका एक बेटा और एक बेटी गांव के ही प्रा थमिक विद्यालय में पढ़ते थे एक बेटा हाई स्कूल की पढ़ाई के
, लिए शहर जाकर पढ़ रहा था क्योंकि गांव में विद्यालय नहीं था? सामू काफी परिश्रमी किसान था मगर हार्ड तोड़ मेहनत के बावजूद भी उसको काफी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था I मुश्किल होता जा रहा था क्योंकि खर्चा धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था? बच्चों की पढ़ाई लिखाई ,किताब कापी कपड़ों में काफी खर्च आ रहा था उसके पास पैसों का और कोई स्रोत नहीं था एकमात्र खेती ही उसका सहारा था I कभी ऐसा होता था कि किसी प्राकृतिक आपदा के कारण या किसी अन्य वजह से साग सब्जी की खेती खराब हो जाता था जिसके कारण उसे काफी नुकसान उठाना पड़ता था फिर भी पुश्तैनी जमीन होने के कारण खेती के कार्य का ही एक मात्र सहारा था एक दिन की बात है उसकी पत्नी खेत पर ही उसके लिए खाना लेकर आती है सामू की पत्नी कुएं से पानी लेने चली जाती है वह चुपचाप खाना खाने लगता है उसे ना जाने क्यों खाना खाने का दिल नहीं कर रहा था? लेकिन खाना खा रहा था इतने में उसकी पत्नी पानी लेकर आ जाती है उसके उदास चेहरे को देख कर उसकी पत्नी सवाल पूछ बैठती है आज बहुत उदास दिखा यी दे रहे हो जी खाना अच्छा नहीं बना है क्या? शामू दुखी मन से कहता है नहीं कोई बात नहीं है चेहरे पर बनावटी हंसी लाते हुए कह ता है तुम चिंता मत करो कोई बात नहीं है फिर उसकी पत्नी उसके चेहरे को देखते यह कहती है मुझसे आप कुछ छुपा रहे हो लंबी- लंबी गहरी सांसे लेकर फिर पूरी बात बताता है क्या करूं गुरु गोविंद की मां? बेटे की फीस देनी है घर में एक भी पैसा नहीं है खेती से इतना फायदा नहीं हुआ सोचा था कि कुछ पैसे कमाई हो जाएंगे तो गोविंद की फीस भर दूंगा गहरी सांस लेते हुए अपनी बात पूरी करता है तभी उसकी पत्नी कहती बस इतनी सी बात है जी कुछ पैसे सब्जी बेचकर रखी हूं पैसा लेकर गोविंद को भेज दो इतनी बात सुनते ही शामू का उदास चेहरा खुशी से झूम उठता है खुशी पुर्वक पति- पत्नि दोनों खेत से घर वापस आते हैं शाम को दोनों खाना खाकर लेटे ही थे कि तभी बाहर से अलख निरंजन की आवाज सुनाई पङती है दरवाजे पर किसी के खड़े होने की आहट होती है शामू दरवाजा खोलता है, सामने एक महात्मा जी को देखकर चरणों में झुककर फौरन उन्हें प्रणाम करता है फिर अंदर आने के लिए कहता हैदोनों बच्चे बाहर बरामदे में सो रहे थे, सभी भोजन कर चुके थे घर में एक भी रोटी नहीं था उस वक्त महात्मा जी केआतिथ्य धर्म के लिए भोजन की आवश्यकता थी फिर दोनों आपस में विचार करते हैं कि महात्मा जी के लिए भोजन तैयार किया जाए फिर दोनों महात्मा जी को सम्मान पुर्वक बैठा ते हैं | उसकी पत्नी खुशी-खुशी भोजन तैयार करने लगती है फिर महात्मा जी को भोजन खि लाकर बरामदे में विस्तर लगा दिया, महात्मा जी को आराम करने के लिए कहता है महात्माजी से कुछ बात पूछना चाह रहा था यह सवाल कई दिनों से उसके मन में कचोट रहा था | महात्मा जी के पास जाकर अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए महात्मा जी से सवाल पूछने की आज्ञा लेता है महा त्मा जी हम लोग घर गृहस्ती वाले आदमी हैं कुछ परेशानियां है उसी से संबंधित कुछ सवाल आप से पूछना चाहता हु अगर आप आज्ञा दे तो | क्या पूछना चाहते हो बेटा पुछो ? अब शामू उनसे अब अपनी बात कहता है महात्मा जी हमको यह बताइए दिन रात मेहनत मजदूरी करने के बाद भी हम आज तक कितने गरीब के और हमारे गांव का प्रधान 5 साल में सरकार का पैसा खा कर देखिए उसके पास ट्रैक्टर, गाड़ी ,घर सब कुछ मगर हम गरीब के गरीब ही रह गए ना तो बच्चों को पढ़ाने के लिए ढंग से पैसे हैं ना तो खाने के लिए रोटी, ना तो तन पर पहनने के लिए ठीक से कपड़ा कभी कभी गांव के कुछ लोगों से ब्याज पर पैसे भी लेने पड़ जाते हैं इतनी बात कह कर चुप हो जाता हैशामू की बातो को सुनकर मंद -मंद मुस्कुराते हुए पहले अपने बारे में बताते है | बच्चा मैं भी तुम्हारी तरह अपने बच्चों के साथ गांव में खेती बारी करके अपना जीवन बसर कर रहा था यही सवाल मेरे मन में भी बराबर उठते थे मगर क्या करता? कहीं से कोई जवाब नहीं मिल पाता था गांव में ब्याज पर पैसे देने वालों से कुछ पैसा उधार लिया था इस उम्मीद से लिया था कि अगली फसल होगी तो कर कुछ फायदा मिल जाएगा, मगर सारी फसल बर्बाद हो गई तूफानी बारिश मौसमी चक्रवात के चलते सारी फसल बेकार हो गई बेटा उस साल ब्याज पर लिया पैसा वापस न कर सका ,उन्होंने ने उसी रात हमारे बीवी बच्चों को खूब मारा पीटा मैं शहर गया था अपने भाई के पास से पैसा मांगने के लिए मगर पैसा नहीं मिला, घर वापस आकर अपने बीवी बच्चों की हालत देखकर कलेजा मुंह को आ गया उन मुश्किल हालातों का सामना न क र सका| उसी रात घर छोड़ दिया फिर शामू सवाल करता है फिर आप के बीवी बच्चे कहां गए|” महात्मा जी ” वह तो मुझे मालूम नहीं पांच साल बाद गांव वापस गया था वहां वहा गांव में कोई नहीं मिला , आसपास के लोग बता रहे थे कि वे लोग गांव से शहर चले गए| महात्मा जी की कहानी सुनकरशामू के आंख में आंसू आ गए लेकिन चेहरे पर दृढ़ता लाते हुए अगले ही पल शा मू अपने मन में गुस्सा लिए महात्मा जी से सवाल किया आप मुश्किल में अपने बीवी बच्चों को छोड़कर क्यों चले गए ?आप तो इस वक्त साधु बनकर अपनी जीविका चला रहे हैं कायरों कीं भा ती अपना जीवन संघर्ष छोड़कर घर से चले गए मगर यह क्या बुद्धिमानी था ? |शामू के इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं था महात्माजी के पास अपनी नजरें नीची करके आखो में पश्चाताप के आँसू लिए कहते हैं बेटा अपने इन पांच सालों में हमने आध्यात्मिक गुरुओं के सानिध्य में रहकर तथा श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ पढ़ कर जीवन के इस रहस्य को जान पाया कि उस वक्त गलत था मै जो सवाल तुमने हमसे पूछा कि मैं गरीब क्यों हूं तो सुनो श्रीमद् भागवत गीता की बातों को समझाना शुरू करते हैं इंसान के जीवन से जुङी अधिकांश बातें शामू को समझ में नहीं आती है ढेरों सवाल जवाब भी करता है महात्मा जी उन सब का जवाब सरल व सीधी भाषा में देकर उसे संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं बेटा दुनिया ईश्वर से अनजान अपने दुखों के लिए स्वयं जिम्मेदार मगर इन सब का सारे फोर्स आरोप भगवान पर लगाती है ईश्वर के प्रति अपनी सोच बदलो दुनिया तुम्हारी बदल जाएगी सुनो बच्चा मेरा एक कहना मानना आज यह काम शुरू कर देना जिज्ञासा पूर्वक महात्मा जी से कहता है बताइए महात्मा जी क्या बात है तो सुनो बच्चा सुबह उठते हाथ जोड़कर ईश्वर को धन्यवाद बोलो धन्यवाद प्रभु जी इस जीवन के लिए मैं स्वस्थ हूं मेरा परिवार स्वस्थ है मेरे लहराते हुई फसलों अच्छे हैं आंख मूंदकर कल्पना में देखो की फसलें हरी-भरी लाल हारे धरती और आकाश को वर्कर धरती मां को प्रणाम करो अपने सुबह की शुरुआत करो शाम को भी यही कार्य करो देखो साल भर बाद अपने जीवन को बदलते हुए पाओगेतुम्हारे सवालों का जवाब श्रीमद्भागवत गीता गीता में स्वयं तुम ढूंढ लोगे सामूहिक नी बात सुनकर महात्मा जी को प्रणाम करता है खुशी खुशी मान से सोने के लिए चला जाता है जल्दी उठकर महात्मा को यह बताने के लिए बरामदे में आया कि जो बातें आपने बताया था हमने सुबह सुबह कार्य किया महात्मा जी बिस्तर पर नहीं थे सामने सोचा कि